गर्मी का मौसम आते ही न सिर्फ मौसम का मिज़ाज बदलता है, बल्कि हमारे शरीर और खानपान की ज़रूरतें भी बदलने लगती हैं। जिस तरह सर्दियों में गर्मागर्म और मसालेदार खाने की तलब लगती है, उसी तरह गर्मियों में शरीर कुछ हल्का-फुल्का और ठंडक देने वाला चाहता है। मगर बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो साल के बारहों महीने नॉनवेज़ खाने के शौकीन होते हैं। रोज़ चिकन, मटन या अंडा खाए बिना उनका पेट नहीं भरता। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गर्मी में रोज़ नॉनवेज़ खाना आपके शरीर पर क्या असर डाल सकता है?
अगर नहीं सोचा, तो अब सोचिए। क्योंकि गर्मी में नॉनवेज़ का ज्यादा सेवन सेहत पर भारी पड़ सकता है।
गर्मी में शरीर की ज़रूरतें बदलती हैं
गर्मियों में शरीर का तापमान खुद-ब-खुद बढ़ा रहता है। बाहर की गर्मी और शरीर की अंदरूनी गर्मी मिलकर शरीर को थका देती है। ऐसे में भारी और गरिष्ठ भोजन पचाना मुश्किल हो जाता है। नॉनवेज़ वैसे तो प्रोटीन से भरपूर होता है, लेकिन उसे पचाने में शरीर को ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है। यही कारण है कि गर्मी में नॉनवेज़ का ज्यादा सेवन शरीर पर दबाव डाल सकता है।
गर्मियों में नॉनवेज़ खाने के समस्याएं

जब आप रोज़ाना नॉनवेज़ खाते हैं, खासकर मसालेदार या तला-भुना, तो यह आपके पाचन तंत्र पर असर डालता है। गर्मी में पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है। मांसाहारी भोजन को पचाने में शरीर को अधिक समय और ऊर्जा लगती है। इससे गैस, अपच, पेट दर्द और एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
नॉनवेज़ को पचाने में शरीर को अधिक पानी की ज़रूरत होती है। वहीं गर्मियों में पसीने के ज़रिए शरीर से पहले ही काफी पानी निकल रहा होता है। ऐसे में अगर आप रोज़ नॉनवेज़ खा रहे हैं और पानी कम पी रहे हैं, तो शरीर में डिहाइड्रेशन हो सकता है। इससे थकान, सिर दर्द और कमजोरी जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं।
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गर्मी में ज्यादा नॉनवेज़ खाने से शरीर के अंदर गर्मी बढ़ती है, जिसका सीधा असर आपकी त्वचा पर पड़ सकता है। बहुत से लोगों को इस मौसम में फुंसियां, पिंपल्स या स्किन एलर्जी की शिकायत हो जाती है। खासतौर पर वो लोग जिनकी स्किन पहले से ही सेंसिटिव हो, उन्हें गर्मियों में नॉनवेज़ सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए।
गर्मी में खाद्य सामग्री जल्दी खराब हो जाती है। अगर नॉनवेज़ को सही तापमान पर नहीं रखा गया या सही तरीके से नहीं पकाया गया, तो फूड पॉइज़निंग का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। कई बार लोग जल्दीबाज़ी में अधपका चिकन या मटन खा लेते हैं, जो बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकता है। इससे उल्टी, दस्त और बुखार हो सकता है।
अगर आप रोज़ाना रेड मीट (जैसे मटन) खा रहे हैं, तो ध्यान रखें कि इसमें फैट और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा होती है। गर्मी में शरीर पहले ही थका और सुस्त महसूस करता है, ऐसे में भारी भोजन दिल की धड़कन पर असर डाल सकता है। इससे हृदय संबंधी समस्याएं जैसे ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है।
गर्मी में नॉनवेज़ खाने के बेहतर तरीके
नॉनवेज़ पूरी तरह छोड़ना ज़रूरी नहीं है, लेकिन इसे संतुलित तरीके से खाना चाहिए। यहां कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं:
- हफ्ते में 2-3 बार ही खाएं: रोज़ न खाएं, शरीर को थोड़ा आराम दें।
- हल्के मसाले और कम तेल में पकाएं: भुना या उबला हुआ नॉनवेज़ गर्मी में ज्यादा बेहतर है।
- रात में खाने से बचें: दिन में पाचन तेज़ रहता है, रात को भारी खाना पेट पर बोझ बन सकता है।
- खाने के साथ दही और सलाद लें: इससे शरीर में ठंडक बनी रहती है और पाचन आसान होता है।
- भरपूर पानी पिएं: ताकि शरीर डिहाइड्रेट न हो और टॉक्सिन्स बाहर निकल सकें।
शाकाहारी विकल्पों की तरफ भी ध्यान दें
गर्मी में हरी सब्जियां, फल, दही, छाछ और सलाद न सिर्फ शरीर को ठंडक देते हैं, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं। इनमें फाइबर और जरूरी पोषक तत्व भरपूर होते हैं जो पाचन को मजबूत बनाते हैं।
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भूख और स्वाद से ज़्यादा ज़रूरी है समझदारी
कई बार हमें भूख कम होती है, लेकिन स्वाद के लिए खाना खा लेते हैं। गर्मी में ये आदत नुकसानदायक हो सकती है। शरीर की ज़रूरतों को समझना और उसी हिसाब से खाना ही असली समझदारी है। नॉनवेज़ स्वादिष्ट जरूर है, लेकिन जब तक सेहत साथ न दे, तब तक स्वाद का क्या फ़ायदा?
गर्मी के मौसम में नॉनवेज़ खाना कोई अपराध नहीं है, लेकिन हर चीज़ की एक हद होती है। रोज़-रोज़ नॉनवेज़ खाना न सिर्फ पाचन तंत्र पर असर डाल सकता है, बल्कि शरीर में गर्मी, डिहाइड्रेशन, त्वचा समस्याएं और दिल की बीमारी जैसी परेशानियां भी ला सकता है। अगर आप नॉनवेज़ खाना पसंद करते हैं, तो थोड़ा संयम बरतें और मौसम के अनुसार बदलाव लाएं।
सेहत का ख्याल रखना आपकी ज़िम्मेदारी है। स्वाद का आनंद लें, लेकिन समझदारी के साथ। आखिरकार, स्वस्थ शरीर ही असली खुशहाली की कुंजी है।
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