आजकल भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हाई ब्लड प्रेशर यानी बीपी (BP) एक आम बीमारी बनती जा रही है। मगर ज़्यादातर लोग इसे हल्के में लेते हैं। क्या आपको पता है कि जब बीपी ज़्यादा बढ़ता है, तो हार्ट अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है? लेकिन सवाल ये है – आखिर बीपी कितना बढ़ जाए कि वो खतरनाक मान लिया जाए? और हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारी की ओर इशारा करे?
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कब बीपी खतरनाक हो सकता है, हार्ट अटैक से उसका क्या कनेक्शन है, और इससे बचने के लिए आपको क्या-क्या बातों का ध्यान रखना चाहिए।
बीपी क्या होता है?

सबसे पहले थोड़ा आसान शब्दों में समझ लेते हैं कि बीपी होता क्या है। हमारे शरीर में दिल खून को पंप करता है, जिससे वो नसों के ज़रिए पूरे शरीर में फैलता है। जब दिल खून को धकेलता है, तो नसों पर एक दबाव पड़ता है। इसी दबाव को ही ब्लड प्रेशर कहते हैं।
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बीपी की दो रीडिंग होती हैं-
सिस्टोलिक (ऊपरी संख्या) – जब दिल खून पंप करता है।
डायस्टोलिक (नीचे की संख्या) – जब दिल आराम की स्थिति में होता है।
उदाहरण के लिए, अगर आपका बीपी 120/80 mmHg है, तो 120 सिस्टोलिक और 80 डायस्टोलिक है। ये सामान्य बीपी माना जाता है।
हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension) क्या है?
जब किसी व्यक्ति का बीपी लगातार 130/80 mmHg या उससे ज़्यादा बना रहता है, तो उसे हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन कहते हैं। अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे और कंट्रोल न हो, तो इससे दिल, किडनी, आंख और दिमाग को नुकसान हो सकता है।
बीपी और हार्ट अटैक का क्या कनेक्शन है?

अब आता है असली सवाल – बीपी बढ़ने से हार्ट अटैक कैसे हो सकता है?
जब बीपी लगातार हाई रहता है, तो नसों की दीवारों पर ज्यादा दबाव पड़ता है। ये नसें धीरे-धीरे सख्त हो जाती हैं और उनमें ब्लॉकेज बनने लगता है। दिल को खून पहुंचाने वाली धमनियों में अगर ब्लॉकेज हो जाए, तो हार्ट अटैक का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।
सीधे शब्दों में कहें तो, लगातार हाई बीपी आपके दिल को कमजोर बना देता है और अचानक हार्ट अटैक की वजह बन सकता है।
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बीपी कितना बढ़ जाए तो खतरा होता है?
सामान्य बीपी 120/80 mmHg तक माना जाता है। अब समझिए अलग-अलग स्तरों को:
सामान्य: 120/80 mmHg
हल्का हाई बीपी (Stage 1 Hypertension): 130–139 / 80–89 mmHg
मध्यम स्तर (Stage 2): 140–159 / 90–99 mmHg
अत्यधिक हाई (Severe Hypertension): 160/100 mmHg या उससे ऊपर
हाइपरटेंसिव क्राइसिस (Emergency): 180/120 mmHg या उससे ज़्यादा – इस स्थिति में हार्ट अटैक, स्ट्रोक या किडनी फेल होने की संभावना होती है।
अगर आपका बीपी 180/120 से ऊपर है, तो यह इमरजेंसी मानी जाती है। आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए, भले ही आपको कोई लक्षण न दिख रहे हों।
बीपी बढ़ने के लक्षण – इन्हें हल्के में न लें
कई बार हाई बीपी बिना किसी लक्षण के भी होता है, इसलिए इसे ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है। लेकिन कई बार ये लक्षण दिखाई देते हैं:
सिरदर्द
चक्कर आना
नाक से खून आना
सांस फूलना
सीने में दर्द या घबराहट
आंखों के सामने धुंधलापन
अगर ये लक्षण दिखें और बीपी चेक करने पर बहुत ज्यादा निकले, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करें।
हार्ट अटैक से बचने के लिए बीपी कैसे कंट्रोल में रखें?
नियमित बीपी चेक करें
हर महीने या हफ्ते में एक बार बीपी ज़रूर चेक कराएं, खासकर अगर आपकी उम्र 35 के ऊपर है।
कम नमक का सेवन करें
नमक सीधे बीपी को बढ़ाता है। कोशिश करें कि खाना कम नमक में ही पकाया जाए।
तनाव कम करें
हर रोज़ थोड़ा समय खुद को रिलैक्स करने के लिए निकालें – मेडिटेशन, योग, गहरी सांसें लेना फायदेमंद होता है।
व्यायाम करें
हर दिन 30 मिनट की वॉक या हल्की-फुल्की एक्सरसाइज़ बीपी को कंट्रोल करने में मदद करती है।
धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं
स्मोकिंग और एल्कोहल ब्लड प्रेशर और दिल दोनों के लिए खतरनाक होते हैं।
डॉक्टर की सलाह पर दवा लें
अगर आपका बीपी लगातार बढ़ा हुआ है, तो बिना देरी डॉक्टर की सलाह पर दवाएं शुरू करें। खुद से दवा न बंद करें।
बीपी कोई मामूली बीमारी नहीं है। अगर आप इसे नज़रअंदाज़ करेंगे, तो ये चुपचाप आपकी सेहत को भीतर से खोखला कर देगा और अचानक हार्ट अटैक जैसी जानलेवा स्थिति बन सकती है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते अपने ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें, हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं और हर लक्षण को गंभीरता से लें।