You are currently viewing पीसीओएस कंट्रोल के लिए वॉकिंग और योग – कौन करेगा बेहतर काम?

पीसीओएस कंट्रोल के लिए वॉकिंग और योग – कौन करेगा बेहतर काम?

पीसीओएस यानी पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक आम लेकिन जटिल समस्या है, जो महिलाओं को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से प्रभावित करती है। इस बीमारी में महिलाओं के अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं, जिससे हार्मोनल असंतुलन होता है और कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं सामने आती हैं। वजन बढ़ना, अनियमित पीरियड्स, चेहरे और शरीर पर बालों की बढ़त, और यहां तक कि डायबिटीज़ जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं।

पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) एक हार्मोनल डिसऑर्डर है जो महिलाओं को प्रजनन उम्र में प्रभावित करता है। इसमें अंडाशय (Ovaries) में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं, जिससे पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं या रुक जाते हैं। 

इसके साथ ही शरीर में एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे चेहरे और शरीर पर बाल उगने, मुहांसे निकलने और वजन बढ़ने जैसी समस्याएं होती हैं। पीसीओएस की वजह से गर्भधारण में भी कठिनाई हो सकती है। इसका इलाज जीवनशैली सुधार, व्यायाम, सही खानपान और ज़रूरत पड़ने पर दवाओं से किया जाता है।

पीसीओएस को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर आमतौर पर जीवनशैली में बदलाव की सलाह देते हैं। इसके तहत सबसे ज्यादा सुझाव दिए जाते हैं वॉकिंग और योग को अपनाने का। लेकिन सवाल यह है कि पीसीओएस में वॉकिंग और योग में से कौन ज्यादा फायदेमंद है? आइए विस्तार से समझते हैं।

पीसीओएस में वॉकिंग का महत्व

पीसीओएस

वॉकिंग या पैदल चलना एक सरल और प्रभावी एक्सरसाइज है जिसे किसी भी उम्र और फिटनेस लेवल के लोग कर सकते हैं। पीसीओएस में वॉकिंग के कई फायदे होते हैं:

वजन नियंत्रण में मदद

पीसीओएस में मोटापा एक बड़ी समस्या है। वॉकिंग कैलोरी बर्न करने में मदद करती है जिससे वजन कम होता है। हल्की-फुल्की वॉकिंग रोज़ाना करने से शरीर की मेटाबोलिक रेट बढ़ती है और फैट कम होता है।

इसे भी पढें-1 महीने से पीरियड नहीं आया तो क्या करें – जानिए कारण और समाधान

इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करना

पीसीओएस में अक्सर इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या होती है। वॉकिंग नियमित करने से शरीर की इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है, जिससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।

हार्मोनल संतुलन

वॉकिंग से शरीर में एंडॉर्फिन्स नाम के खुशहाली हार्मोन रिलीज होते हैं जो तनाव कम करते हैं और हार्मोनल असंतुलन को सुधारने में मदद करते हैं।

हृदय स्वास्थ्य में सुधार

पीसीओएस से प्रभावित महिलाओं में हार्ट डिजीज़ का खतरा बढ़ जाता है। रोज़ वॉकिंग करने से हार्ट स्वस्थ रहता है और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।

योग और पीसीओएस

पीसीओएस

जब भी हम सेहत और संतुलन की बात करते हैं, तो मन में सबसे पहले “योग” का नाम आता है। योग कोई नया चलन नहीं है, बल्कि ये एक प्राचीन भारतीय विद्या है, जो न सिर्फ शरीर को लचीला और मजबूत बनाती है, बल्कि मन को भी शांति और स्थिरता प्रदान करती है। 

आज की तेज़ भागती ज़िंदगी में, जहां तनाव और अनियमित जीवनशैली ने कई बीमारियों को जन्म दिया है, वहां योग एक सच्चा साथी बनकर उभरता है। खासकर महिलाओं के लिए, जिनकी दिनचर्या घर, काम और परिवार के बीच बंटी होती है, योग उन्हें खुद के लिए समय निकालने का एक सुंदर जरिया देता है।

जब बात पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) की आती है, तो योग का महत्व और भी बढ़ जाता है। पीसीओएस सिर्फ शारीरिक बीमारी नहीं है, यह मानसिक और भावनात्मक रूप से भी प्रभावित करता है। ऐसे में योग न सिर्फ शारीरिक रूप से राहत देता है, बल्कि तनाव, चिंता और अवसाद जैसी भावनात्मक समस्याओं को भी धीरे-धीरे दूर करता है। कुछ खास योगासन पीसीओएस में बहुत प्रभावी माने जाते हैं, जो हार्मोन संतुलन सुधारने में मदद करते हैं और शरीर के भीतर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।

तनाव कम करना

पीसीओएस में हार्मोनल असंतुलन के कारण मानसिक तनाव और चिंता आम हो जाती है। ऐसे में योग की ध्यान (मेडिटेशन) और प्राणायाम जैसी तकनीकें न सिर्फ मन को शांत करती हैं, बल्कि शरीर में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) का स्तर घटाकर मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं।

हार्मोनल संतुलन में मदद

योग के कुछ विशेष आसन जैसे भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन और सेटु बंधासन शरीर के हार्मोनल सिस्टम को संतुलित करने में सहायक होते हैं। ये आसन अंडाशय और थायरॉइड ग्रंथि को एक्टिव करते हैं, जिससे पीसीओएस के कारण होने वाले हार्मोनल बदलाव धीरे-धीरे नियंत्रित होने लगते हैं।

रक्त संचार और मेटाबोलिज्म बेहतर बनाना

योग के नियमित अभ्यास से शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर होता है, जिससे सभी अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण मिलता है। इससे मेटाबोलिज्म सुधरता है और शरीर की ऊर्जा बढ़ती है। यह सुधार पीसीओएस से जुड़ी थकावट और कमजोरी जैसी समस्याओं को भी दूर करने में मदद करता है।

वजन नियंत्रण में सहायक

पीसीओएस

योग में भले ही वॉकिंग जितनी कैलोरी बर्न न होती हो, लेकिन यह वजन घटाने में मदद करता है। नियमित योग से तनाव घटता है, जो अक्सर भावनात्मक भोजन और वजन बढ़ने का कारण बनता है। साथ ही यह पाचन को बेहतर करता है, जिससे शरीर में चर्बी जमा नहीं होती

वॉकिंग या योग: कौन सा बेहतर है पीसीओएस के लिए?

इसे भी पढें-सुबह खाली पेट ये 1 चीज खाएं और 7 दिन में जोड़ों का दर्द हो जाएगा गायब

दोनों का अपना-अपना महत्व है और दोनों ही अलग-अलग तरीकों से पीसीओएस कंट्रोल में मदद करते हैं। आइए जानते हैं किस स्थिति में क्या बेहतर हो सकता है:

अगर आप शुरुआती हैं

अगर आप एक्सरसाइज शुरू कर रही हैं, तो वॉकिंग सबसे आसान और सुरक्षित तरीका है। रोज़ाना कम से कम 30 मिनट वॉकिंग करना शरीर को एक्टिव करता है और मोटापा कम करता है।

मानसिक शांति और हार्मोनल संतुलन के लिए

योग आपके मानसिक तनाव को कम करने में बहुत मदद करता है, जो पीसीओएस के लिए काफी जरूरी है। साथ ही, योग हार्मोनल संतुलन के लिए भी बेहद उपयोगी है।

वजन घटाने के लिए

वॉकिंग ज्यादा कैलोरी बर्न करती है, इसलिए वजन घटाने के लिए यह अधिक कारगर हो सकती है। योग वजन कम करने में सहायक है, लेकिन इसकी मुख्य भूमिका तनाव कम करने और शरीर को संतुलित बनाने की होती है।

यदि आपके पास समय की कमी है

योगासन और प्राणायाम छोटे समय में भी किए जा सकते हैं। यह जल्दी थकान नहीं देता और नियमित करने पर मानसिक और शारीरिक लाभ देता है।

बेहतर परिणाम के लिए योग और वॉकिंग दोनों करें

पीसीओएस को कंट्रोल करने के लिए सिर्फ वॉकिंग या सिर्फ योग पर निर्भर रहने की बजाय, दोनों को साथ में अपनाना सबसे अच्छा है। इससे शारीरिक फिटनेस और मानसिक स्वास्थ्य दोनों बेहतर होते हैं।

एक दिन वॉकिंग, दूसरे दिन योग

आप सप्ताह में 3-4 दिन वॉकिंग कर सकती हैं और बाकी दिन योग। यह आपके शरीर को नई ऊर्जा देगा और पीसीओएस से जुड़ी कई समस्याओं को कम करेगा।

ध्यान रखें:

धीरे-धीरे शुरू करें,

शरीर की सुनें,

डॉक्टर या फिटनेस एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।

साथ ही, जीवनशैली में बदलाव जरूरी

पीसीओएस कंट्रोल के लिए सिर्फ एक्सरसाइज ही काफी नहीं होती, सही खान-पान, तनाव प्रबंधन और पर्याप्त नींद भी जरूरी है। हरी सब्जियां, फल, प्रोटीनयुक्त आहार, और कम शुगर वाले भोजन अपनाएं।

पीसीओएस कंट्रोल के लिए वॉकिंग और योग दोनों ही बेहद फायदेमंद हैं। वॉकिंग से वजन कम करने और इंसुलिन नियंत्रण में मदद मिलती है, वहीं योग मानसिक तनाव कम करता है और हार्मोनल असंतुलन सुधारता है। इन दोनों को संतुलित तरीके से अपनाकर आप अपनी सेहत में बेहतर बदलाव महसूस कर सकती हैं।

तो देर किस बात की? आज ही अपनी दिनचर्या में वॉकिंग और योग शामिल करें और पीसीओएस से लड़ाई में खुद को मजबूत बनाएं।

अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर शेयर करें।
स्वस्थ रहें!

Leave a Reply