असरदार घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय: हर महीने महिलाओं को पीरियड्स का सामना करना पड़ता है। ये एक नेचुरल प्रक्रिया है, लेकिन इससे जुड़ा दर्द यानी माहवारी का पेट दर्द कभी-कभी इतना तेज़ हो जाता है कि दिनभर की ज़िंदगी थम सी जाती है। कोई दवाई लेता है, कोई हीटिंग पैड लगाता है, तो कोई बस दर्द सहता रहता है। लेकिन क्या आपको पता है कि आयुर्वेद और घरेलू नुस्खों में ऐसे कई रामबाण उपाय हैं जो इस दर्द को नेचुरली कम कर सकते हैं?
आज इस लेख में हम जानेंगे पीरियड के दर्द से राहत पाने के असरदार घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय, जो बिना किसी साइड इफेक्ट के आपको आराम दिला सकते हैं।
पीरियड में दर्द क्यों होता है?
सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि आखिर पीरियड में दर्द होता क्यों है। दरअसल, इस दौरान यूटेरस की मसल्स सिकुड़ती हैं ताकि ब्लड और टिशू शरीर से बाहर निकल सकें। इस सिकुड़न के कारण पेट के निचले हिस्से में दर्द, कमर दर्द और पैरों में भारीपन महसूस होता है। कुछ महिलाओं को चक्कर, मितली या मूड स्विंग्स भी होते हैं।
हींग और अजवाइन का चूर्ण
हींग (asafoetida) और अजवाइन (carom seeds) दोनों ही पाचन और गैस की समस्या को ठीक करने में मदद करते हैं। पीरियड के समय गैस और ब्लोटिंग से पेट दर्द और बढ़ जाता है।
कैसे इस्तेमाल करें-
एक चुटकी हींग और आधा चम्मच अजवाइन को गुनगुने पानी के साथ सुबह-सुबह लें। चाहें तो इसे पानी में उबालकर चाय की तरह पी सकते हैं।
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तिल का तेल

आयुर्वेद में तिल के तेल को बहुत ही शक्तिशाली और गर्म प्रकृति वाला माना गया है। पीरियड के दौरान पेट या कमर पर इसकी मालिश करने से मसल्स को आराम मिलता है और दर्द कम होता है।
कैसे करें इस्तेमाल-
तिल के तेल को हल्का गरम करें और पेट व कमर पर हल्के हाथों से मालिश करें। आप चाहें तो उसमें थोड़ा सा अजवाइन का तेल भी मिला सकते हैं।
मेथी के दाने – पीरियड के दर्द में राहत का राज
मेथी के दानों में एंटी-इंफ्लेमेटरी और पेन रिलीफ गुण होते हैं जो यूटेरस की सिकुड़न को कम करते हैं।
कैसे सेवन करें-
रात को एक चम्मच मेथी दाने पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट उस पानी को छानकर पी लें। ये उपाय पीरियड से 2-3 दिन पहले से ही शुरू करें तो ज्यादा असरदार रहेगा।
हल्दी वाला दूध
हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व होता है जो दर्द और सूजन को कम करता है। गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने से यूटेरस की सिकुड़न नियंत्रित होती है और नींद भी अच्छी आती है।
कैसे लें-
रात को सोने से पहले एक गिलास गुनगुने दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं।
अदरक-शहद की चाय
अदरक एक नेचुरल पेन रिलीवर है और शहद इसके गुणों को और बढ़ा देता है। यह चाय ना सिर्फ दर्द को कम करती है बल्कि शरीर को गर्मी भी देती है।
कैसे बनाएं-
एक कप पानी में थोड़ी सी अदरक को कूटकर उबालें। फिर उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पी लें। दिन में 2 बार पीने से फर्क नजर आएगा।
गरम पानी की थैली (Heating pad)
ये भले ही आयुर्वेदिक न हो, लेकिन ये उपाय आज भी सबसे असरदार माने जाते हैं। गरम पानी की थैली या बोतल को पेट के निचले हिस्से पर रखने से ब्लड फ्लो बेहतर होता है और मसल्स रिलैक्स होती हैं।
योग और प्राणायाम
माहवारी के दौरान भारी एक्सरसाइज से बचना चाहिए, लेकिन कुछ खास योगासन और प्राणायाम दर्द में राहत देने का काम करते हैं।
फायदेमंद योगासन:
सुप्त बद्ध कोणासन
बालासन (चाइल्ड पोज)
पश्चिमोत्तानासन
अनुलोम-विलोम प्राणायाम
इन आसनों से यूटेरस और पेट के आसपास की मसल्स रिलैक्स होती हैं और दर्द में राहत मिलती है।
खान-पान का रखें ध्यान

पीरियड्स के समय शरीर को ऐसे खान-पान की जरूरत होती है जो गर्म, हल्का और पचने में आसान हो।
क्या खाएं:
मूंग दाल की खिचड़ी
ताज़े फल (पपीता, केला)
सूखा नारियल और गुड़
हल्का गरम पानी
क्या न खाएं:
ठंडी चीज़ें जैसे आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स
जंक फूड
ज्यादा मसालेदार और तली-भुनी चीजें
तुलसी के पत्ते
तुलसी में मौजूद यूजेनॉल तत्व दर्द और सूजन को कम करता है।
कैसे सेवन करें:
10-12 तुलसी के पत्तों को एक कप पानी में उबालें और छानकर पी लें। चाहें तो उसमें थोड़ा सा शहद भी मिला सकते हैं।
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नियमित दिनचर्या और स्ट्रेस मैनेजमेंट
तनाव और खराब लाइफस्टाइल पीरियड के दर्द को और ज्यादा बढ़ा सकते हैं। रोज़ाना नींद पूरी करना, हल्की वॉक करना, और तनाव से दूर रहना बहुत जरूरी है। आप चाहें तो ध्यान (Meditation) या साउंड थेरेपी का सहारा ले सकते हैं।
पीरियड का दर्द हर महिला के लिए अलग होता है – किसी को हल्का तो किसी को असहनीय। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप हर बार पेनकिलर लें। आयुर्वेद और घरेलू उपायों में इतनी ताकत है कि वे बिना साइड इफेक्ट के आपको राहत दिला सकते हैं। थोड़ी सी समझदारी, सही खान-पान और नियमित दिनचर्या के साथ आप इस प्राकृतिक प्रक्रिया को आसान बना सकती हैं।
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